Saturday 1 February 2014

रोटी, कपड़ा और मकान..



मोहल्ले की परले वाली गली में,
बड़ी रौनक रहती है..

घुसते ही गली में देखो,
हलवाई की दुकान है,
जिसकी खुशबू भर से ही,
ज़ुबाँ पर स्वाद आ जाता है..
आगे कुछ दूर,
इक फेरीवाले को लड़के-लड़कियां घेरे खड़े हैं,
बुढ़िया के बाल बेचता है शायद, गुलाबी से..
बगल में ही,
लाला चिल्ला रहा है,
आटे का भाव जो बढ़ गया है..

वहीँ लाला की दुकान,
जिसकी पिछली दीवार से टेक लगाये बैठी गुड्डी ने,
धीरे-धीरे हर निवाला,
आंसू में लपेट कर निगल लिया है..
और मुन्तज़िर नहीं रह सकी वो,
दो रोज़ जो गुज़र गए हैं,
अम्मी को नमक लाते-लाते..

#28th January
Bangalore

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