आज कितने वक़्त के बाद,
उससे मुलाक़ात हुई..
शक्ल-ओ-सूरत, सोज़-ओ-आवाज़,
सब वही..
मगर, फिर भी कुछ फ़र्क़ लगता था..
मैं ग़फ़लत में था,
के कुछ बदल गया है उसके अंदर !
या मेरा नजरिया बदल गया है ?
फिर वक़्त गुज़रा,
फिर ग़फ़लत हुई,
फिर कहीं ये इल्म हुआ !
वक़्त क्यूँ करूँ जाया उस पर,
हर रोज़ बदलती सीरत है..
रंग मौसम के संग बदलना,
शायद यही उसकी फितरत है..
आज कितने वक़्त के बाद,
उससे मुलाक़ात हुई..
#19th September
Hyderabad