Saturday 20 September 2014

अक्स


आज कितने वक़्त के बाद,
उससे मुलाक़ात हुई..

शक्ल-ओ-सूरत, सोज़-ओ-आवाज़,
सब वही..
मगर, फिर भी कुछ फ़र्क़ लगता था..
मैं ग़फ़लत में था,
के कुछ बदल गया है उसके अंदर !
या मेरा नजरिया बदल गया है ?

फिर वक़्त गुज़रा,
फिर ग़फ़लत हुई,
फिर कहीं ये इल्म हुआ !

वक़्त क्यूँ करूँ जाया उस पर,
हर रोज़ बदलती सीरत है..
रंग मौसम के संग बदलना,
शायद यही उसकी फितरत है..

आज कितने वक़्त के बाद,
उससे मुलाक़ात हुई..



#19th September
Hyderabad

2 comments:

  1. खूबसूरत दोस्त... सिर्फ मुलाकात के मज़े लो... बदलाव लाज़मी है वक़्त के साथ... :)

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