Saturday, 23 May 2015

जुलाहा


कभी लाल सुर्ख, कभी गाढ़ा नीला,
सफ़ेद कभी, कभी काला,
कितने ही रंगों से वो घिरा रहता है..

कभी आईने के सामने से गुज़रो तो,
क़रीब से दिखता है..

कि कोशिशों के धागे चुन कर वो,
तक़दीर बुना करता है..


#Bangalore
21st May'15

Sunday, 10 May 2015

मुर्शिद


सर्द सुबह में,
जिस अलाव के क़रीब बैठ कर,
मुझे नुस्खे दिए थे, ज़िन्दगी के,
आज फ़क़त धुंआ नज़र आता है उसका..


#Bangalore
2nd May'15


Friday, 1 May 2015

पेन्टिंग

एक नदी बह रही थी बैकग्राउंड में,
मदहोश अपनी रफ़्तार में..
किनारे पर कुछ दरख़्त खड़े थे,
ग़ुरूर दिल में लिए..
अब्र चल रहे थे फलक पर,
जुनूँ की आगोश में..
शम्स चढ़ रहा था उफ़क़ पर,
सेहर की दस्तक लिए..

और, कैनवस के बीच,
तुम खड़ी थीं,
कुछ उलझे से जज़्बात लिए..

वो तस्वीर,
आज भी टंगी है दीवार पे,
मगर अब,
न पहले सी धूप है,
न पहले सी छाँव है,
आसमाँ बदल गया लगता है,

वक़्त बदल गया लगता है..


#Lakhimpur-Kheri
2nd March
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